Sunday, February 28, 2010

होली आई !

होली आई खुशियाँ लाई,
प्यार से सबको गले लगाना |
हटा बैर की क़ातिल छाया,
प्रेम के रंग में तुम रंग जाना|
राग - द्वेष के मैलेपन को,
होली के संग दहन कराना|
प्रेमपूर्ण माहौल बनाकर,
सबके दिल में प्यार जगाना|
कही - सुनी बातों को लेकर,
जाति - धर्म में खो मत जाना|
हिन्दू, मुश्लिम, सिख, ईसाई,
सबको प्रेम के रंग लगाना|
बहुत हुआ आतंक देश में,
"माँ होली" से करो याचना|
दुर्जन, दुष्ट साथ ले जाओ,
सिर्फ प्यार हर दिल में रखना|
मेरा सबसे नम्र निवेदन,
क्रोध - शोध को सदा त्यागना|
जाति - धर्म - भाषा की अग्नि,
होली में अर्पण कर देना|
सिर्फ प्यार से हर मानव के,
दिल को, दिल से रंग लगाना|
बैर-भाव होली में रखकर,
भारत को उत्कृष्ट बनाना|

Tuesday, February 23, 2010

"हकीक़त"

मैं क्या हूँ, कहाँ मेरी
क्या है जरूरत,
यही सोचने में
लगा हूँ अभी तक.
हूँ पापा का बेटा,
या मैय्या का छैया.
बच्चों का पालक,
या पत्नी का पिया.
भाई का भैया,
या बहना का वीरा.
नहीं मैं समझ इसको,
पाया अभी तक. मैं क्या हूँ.....
मैं निकला जो घर से,
मिले मीत मन के.
लगा जैसे मेरी ही,
सबको है चाहत.
समझ में नहीं,
आ रही थी ये दुनियां.
चले साथ मेरे,
वो खुदगर्ज तब तक. मैं क्या हूँ......
मगर ज्यों ही जीवन,
समझने लगा मैं.
मेरे साए ने भी,
मेरा साथ छोड़ा.
जवानी ने जो कुछ,
कराया तमाशा.
मुझे याद है शब्दशः
वो अभी तक. मैं क्या हूँ.....
ढली उम्र रिश्ते,
सुलझने लगे हैं.
ज़माने में सब रंग,
बदलने लगे हैं.
बिना शब्द हम भी,
समझने लगे हैं.
नहीं आज अपनी,
किसी को जरूरत. मैं क्या हूँ.....
हुयी देह जर्ज़र,
न अब काम होता.
न आदेश की,
कोई तामील होती.
मैं कहता हूँ कोई,
माने न माने.
ज़माने में सबकी,
यही है "हकीक़त". मैं क्या हूँ.......

Wednesday, February 17, 2010

गुरु-महिमा

गुरु चरणों से प्रीति नहीं तो, जीना हैं किस काम का.
जीवन को विषयों में गंवाया, क्यों सोचे उस धाम का.
रूपवान, सत्कीर्तिवान, धनवान हुआ तो क्या पाया?
सुन्दर पत्नी,धन-दौलत,घर,पुत्र-पौत्र में है खोया,
गुरु चरणों में ध्यान लगा ले, हटे मोह संसार का.
गुरु चरणों से प्रीति नहीं तो................................1
वेद पढ़े, शत-शास्त्र पढ़े पर, गुरु की शरण कभी न गया,
तीरथ सारे किये मगर, मन-मंदिर का दर्शन न किया,
गुरु चरणों का सेवक बन, तो खुले द्वार प्रभु-धाम का.
 
गुरु चरणों से प्रीति नहीं तो..................................2
देश-विदेशों में घूमा, राजा - महाराजा कहलाया,
सदाचार भरपूर किया पर, गुरु - प्रसाद नहीं पाया,
गुरु कृपा को समझ रे बन्दे, सेवक बन गुरु-पाद का.

 गुरु चरणों से प्रीति नहीं तो...............................3
सुख-ऐश्वर्यों में रहा सदा और, दान-पुण्य भी खूब किया,
गुरु कृपा द्रष्टि भी मिली पर, गुरु चरणों से दूर रहा,
समय है अब भी जाग रे प्राणी, याचक बन गुरु प्रेम का.
 
गुरु चरणों से प्रीति नहीं तो.................................4
मन, भोग-योग-धन-सत्ता से, तेरा विचलित एक पल न हुआ,
हर पल सयंम से अटल रहा, पर गुरु चरणों को भूल गया,
ऐसा संयम और अटलता, फिर तेरे किस काम का.

गुरु चरणों से प्रीति नहीं तो........................................5
मन, धन-भवन-, रूप-योवन, और माया में आसक्त नहीं,
भोग और विषयों से दूर, गुरु चरणों में आसक्ति नहीं,
ऐसा त्याग और निष्ठा फिर, नहीं रहे कुछ काम का.
गुरु चरणों से प्रीति नहीं तो....................................6
राजा हो या रंक अगर मन, गुरु चरणों में रमा रहे,
पुण्य करे, सतसंग करे और, गुरु चरणों के पास रहे,
गुरु आज्ञा का पालन करले, दर्शन हो घनश्याम का.

गुरु चरणों से प्रीति नहीं तो.....................................7
ज्ञानी विद्वान् हो कितना भी, गुरु बिन भाव पार नहीं होता,
जनम-जनम दुनियां माया में, भटक-भटक रोता रहता,
राम, कृष्ण के जैसा तू भी, सेवक बन गुरु देव का.
गुरु चरणों से प्रीति नहीं तो......................................8

Friday, February 12, 2010

बच्चे हैं नादान

बच्चे हैं नादान, मगर हम भारत की पहचान बनेंगे|
पढ़-लिखकर विद्वान बनें हम, रोशन इसका नाम करेंगे||


मात-पिता और गुरुजनों के, लाड-प्यार का पात्र बनेंगे|

चमके उनका नाम जगत में, ऐसे हम संकल्प करेंगे||


भगत सिंह, आज़ाद, राजगुरु, जैसे हम इंसान बनेंगे|

दुश्मन डर से थर-थर काँपे, ऐसे हम सब काम करेंगे||


वीर शिवाजी से शिक्षा ले, देश-धर्म की ढाल बनेंगे|

भारत-माता की रक्षा में, तन-मन-धन बलिदान करेंगे||


हो करके विज्ञान-विशारद, ऐसे हम विद्वान् बनेंगे|

दुनियां जिस पर नत-मस्तक हो, ऐसे आविष्कार करेंगे||


हिन्दू-मुस्लिम-सिख-इसाई, के हम अनुचर नहीं बनेंगे|

आपस में मिल-जुलकर हम सब, नए युग का निर्माण करेंगे||


जन-सेवा अनवरत करें हम, फल के इक्षुक नहीं बनेंगे|

मेहनत, लगन और निष्ठा से, अपना बस कर्त्तव्य करें
गे|

भारत के नौनिहालों को समर्पित"

कोहरे के मौसम

कोहरे का मौसम आया है, हर तरफ अंधेरा छाया है। मेरे प्यारे साथी-2, हॉर्न बजा, यदि दिखे नहीं तो, धीरे जा।। कभी घना धुंध छा जाता है, कुछ भी तुझे...