जननी बनकर जन्म दिया और
पाल-पोष कर बड़ा किया है।
पुरुष अंश को जननी ने ही
जीवन का आधार दिया है।।
खेल कूद में बहना से जो
सच्चा प्यार दुलार मिला है।
जननी की उस छाया से ही
प्रेम सत्य का सार मिला है।।
विद्यार्चन के कठिन मार्ग पर
शिक्षक-परियों ने पाला है।
नारी के बिन पुरुष पूर्णता
का आभाष छलावा है।।
पत्नी बनकर नारी ने ही
पुरुष शब्द को अर्थ दिया है।
जीवन के उन कठिन पलों में
शक्ति बनकर साथ दिया है।।
माता-बहना-बेटी-पत्नी
मात्र पुरुष की अभिलाषा हैं।
नारी के यह चार रूप
घर घर की मान मर्यादा हैं।।
ममता-दया-धर्म है नारी
निश्छल मन निष्कपट कला है।
शक्ति-रूप में सर्व शक्तिमय
प्रेम रूप मृदु-मन अबला है।।
करो प्रतिज्ञा जीवन-पथ में
नारी का आदर करना है।
शक्ति के गौरव की रक्षा
में प्रति-पल तत्पर रहना है।।