Friday, March 25, 2016

समझ लेना कि होली है...!

भरा आनंद से हो मन,
समझ लेना कि होली है।
ह्रदय में हर्ष का नर्तन,
समझ लेना कि होली है।
इमारत एक पुरानी सी,
रुके बरसों के पानी सी।
लगे बीवी वही नूतन,
समझ लेना कि होली है।।
हर्ष से माँ पिता जी का,
ह्रदय गद गद कभी देखो।
ख़ुशी का तुम बनो कारण,
समझ लेना कि होली है।।
समझते हो अगर संतान के,
दायित्व का मतलब।
सफलतम कर सके पालन,
समझ लेना कि होली है।।
किसी इंसान को मुश्किल में,
उलझा देखते हो जब।
मदद करने को मचले मन,
समझ लेना कि होली है।।
हमारी जिन्दगी है यूँ तो एक,
दुःख का घना जंगल।
कभी आये ख़ुशी के क्षण,
समझ लेना कि होली है।।
अगर महसूस हो तुमको,
ख़ुशी गैरों की खुशियों में।
फिजां से दूर हो क्रंदन,
समझ लेना कि होली है।।
स्वयं का घर भरा, खाया,
उड़ाया मौज करते हैं।
किसी भूखे को दे भोजन,
समझ लेना कि होली है।।
घरों में रौशनी करके,
दिवाली सब मनाते हैं।
कभी रोशन हो अंतर्मन,
समझ लेना कि होली है।।

Monday, March 21, 2016

देशभक्ति


उन्हें यह फिक्र है हरदम, नयी तर्ज़-ऐ-वफ़ा क्या है,
हमें यह शौक है देखें, सितम की इंतहा क्या है।
गुनहगारों में शामिल हैं, गुनाहों से नहीं वाकिफ,
सजा को जानते हैं हम,
खुदा जाने खता क्या है।
देश हित सोच है जिनकी, लहू उनका उबलता है,
देशभक्ति का लावा, उनके दिल में रोज़ बहता है।
मगर क्या हो गया है अब, हमारे देशभक्तों को,
कि दुश्मन देश में आकर, दहाड़ें मार जाता है।

ये भारत देश हम सबका, दंभ अभिमान गौरव है,
शहीदों के अमर बलिदानों की, दुर्लभ धरोहर है।
जिसे सींचा था अपने रक्त से, भारत के वीरों ने,
उसे दिल से सहेजें हम, ये हम सबकी जरुरत है।
आज इस देश के दिल पर, देशद्रोही गरज़ता है,
कोई साहित्य का दिग्गज, कलम से विष उगलता है।
मोल लगता शहीदों को, नमन पर बात करने का,
देशभक्ति के गीतों पर, कवि भी भाव करता है।

स्वयं को देश के मालिक, जो वर्षों से समझते हैं,
देश को लूटते छल से, प्रजा का मन कुचलते हैं।
शर्म आती नहीं हमको, उन्हें फिर फिर से चुनने में,
धर्म और जाति का विष, जो हमें दिन दिन पिलाते हैं।
चलो एक प्रण करें मिलकर, सभी बीड़ा उठाते हैं,
देश में ऐकता की तान पर, नयी धुन बनाते हैं।
भगत सिंह राजगुरु सुखदेव की, सौगंध है सबको,
धर्म और जाति के बदरंग, होली में जलाते हैं।

हमारी फिक्र हो हरदम, देश के प्रति वफ़ा क्या है,
हमारा शौक हो केवल, वफ़ा की इंतहा क्या है।
गुनाहों से रहें सब दूर, लेकिन देश के हित में,
ये दुश्मन को दिखा दें देश की, भक्ति का दम क्या है।

कोहरे के मौसम

कोहरे का मौसम आया है, हर तरफ अंधेरा छाया है। मेरे प्यारे साथी-2, हॉर्न बजा, यदि दिखे नहीं तो, धीरे जा।। कभी घना धुंध छा जाता है, कुछ भी तुझे...