स्वर साम्राज्ञी अमर रहेंगी,सा
त सुरों की सरगम में।
वतन सदा नम-नयन रहेगा,
वाणी के आवाहन में।।
काया छोड़ गयीं वो बेशक,
नश्वर-देह जमाने में,
स्वर शब्दों से अमर रहेगा,
हर युग के दीवानों में।।
देश प्रेम को अमर कर गयीं,
सरहद के मतवालों में।
अमर प्रेम को अर्थ दिया है,
युगल गीत की तानों में।।
लोरी की लय में होंगी,
और देश प्रेम के गानों में।
युग-युग स्वर प्रेमी रखेंगे,
तुमको अमर खयालों में।।
माँ वीणा की कृपा जिस तरह,
रही तुम्हारे जीवन में।
ज्योतिर्मय हो सदा चमकना,
उसी तरह अंबर तल में।।
करुणा प्रेम से बोझिल मन,
दीदी की अमर विदाई में।।
शब्द सुमन स्वीकार करो,
अंतर्मन की श्रद्धांजलि में।।
त सुरों की सरगम में।
वतन सदा नम-नयन रहेगा,
वाणी के आवाहन में।।
काया छोड़ गयीं वो बेशक,
नश्वर-देह जमाने में,
स्वर शब्दों से अमर रहेगा,
हर युग के दीवानों में।।
देश प्रेम को अमर कर गयीं,
सरहद के मतवालों में।
अमर प्रेम को अर्थ दिया है,
युगल गीत की तानों में।।
लोरी की लय में होंगी,
और देश प्रेम के गानों में।
युग-युग स्वर प्रेमी रखेंगे,
तुमको अमर खयालों में।।
माँ वीणा की कृपा जिस तरह,
रही तुम्हारे जीवन में।
ज्योतिर्मय हो सदा चमकना,
उसी तरह अंबर तल में।।
करुणा प्रेम से बोझिल मन,
दीदी की अमर विदाई में।।
शब्द सुमन स्वीकार करो,
अंतर्मन की श्रद्धांजलि में।।