Wednesday, March 20, 2019

प्रण कर लो...


हम देशभक्ति के रंगों से, होली खेलेंगे प्रण कर लो।
आज़ाद, भगतसिंह, राजगुरु, बाबू सुभाष के रंग भर लो।।

सेना को गाली देते जो, कानून व्यवस्था पर छोड़ो,
तुम नीच, अधम, गद्दारों का, सामाजिक बहिष्कार कर दो।
फिर भी कोई दुष्ट न माने तो, बारूद से पिचकारी भर लो,
हम देशभक्ति के रंगों से, होली खेलेंगे प्रण कर लो।

सरहद पर सैनिक वीर खड़े, प्राणों पर दांव खेलते हैं,
उसका सबूत जो मांग रहे, उन्हें आतंकी घोषित कर दो।
सर कलम करो मक्कारों का, उस रक्त से धरती को रंग लो।
हम देशभक्ति के रंगों से, होली खेलेंगे प्रण कर लो।

देश के अंदर घुसे हुए, पाकी कुत्तों का अंत करो,
देशद्रोहियो देश छोड़ दो, श्वर में 'जन-प्रवाद' कर दो।
आतंकवादियों के चमचो, तुम कितना भी जी-जी कर लो।
हम देशभक्ति के रंगों से, होली खेलेंगे प्रण कर लो।

नापाक देशद्रोही कायर, सत्ता के श्वान जहां भी हों,
अब समय आ गया है, वोटों की गोली से छलनी कर दो।
सरकार बनाने देशभक्त, बेदाग सिपाही को चुन लो।
हम देशभक्ति के रंगों से, होली खेलेंगे प्रण कर लो।

कोहरे के मौसम

कोहरे का मौसम आया है, हर तरफ अंधेरा छाया है। मेरे प्यारे साथी-2, हॉर्न बजा, यदि दिखे नहीं तो, धीरे जा।। कभी घना धुंध छा जाता है, कुछ भी तुझे...