Monday, December 5, 2022

कोहरे के मौसम

कोहरे का मौसम आया है,
हर तरफ अंधेरा छाया है।
मेरे प्यारे साथी-2, हॉर्न बजा,
यदि दिखे नहीं तो, धीरे जा।।
कभी घना धुंध छा जाता है,
कुछ भी तुझे नजर ना आता है।
जो पीछे बैठा-2, उसे बुला।
गाड़ी के आगे, उसे चला।।
भाई गति नियंत्रित करना है,
सिग्नल से पहले रुकना है।
गाड़ी को बेशक-2, सहज़ चला,
दुर्घटना से तो, देर भला।।
बिल्कुल भी नहीं घबराना है,
गति स्वयं सुनिश्चित करना है।
यदि ठीक दिखे तो-2, साठ चला।
यदि धुंध घनी तो, सरक चला।।
हर पल चौकन्ना रहना है,
हर तरफ ध्यान भी रखना है।
कोहरे में सारी-2, लैंप जला,
रह सावधान कर, सबका भला।।

Tuesday, February 8, 2022

स्वर-श्रद्धांजलि

स्वर साम्राज्ञी अमर रहेंगी,सा
त सुरों की सरगम में।
वतन सदा नम-नयन रहेगा,
वाणी के आवाहन में।।
काया छोड़ गयीं वो बेशक,
नश्वर-देह जमाने में,
स्वर शब्दों से अमर रहेगा,
हर युग के दीवानों में।।

देश प्रेम को अमर कर गयीं,
सरहद के मतवालों में।
अमर प्रेम को अर्थ दिया है,
युगल गीत की तानों में।।
लोरी की लय में होंगी,
और देश प्रेम के गानों में।
युग-युग स्वर प्रेमी रखेंगे,
तुमको अमर खयालों में।।

माँ वीणा की कृपा जिस तरह,
रही तुम्हारे जीवन में।
ज्योतिर्मय हो सदा चमकना,
उसी तरह अंबर तल में।।
करुणा प्रेम से बोझिल मन,
दीदी की अमर विदाई में।।
शब्द सुमन स्वीकार करो,
अंतर्मन की श्रद्धांजलि में।।



Thursday, January 27, 2022

नन्ही परी

जो वर्षों से तमन्ना थी हमारे मन अधूरी।
तेरे आने से हो गयी दिल की वो चाहत भी पूरी।।
हमारे मन भवन उपवन की वो सूनी सी क्यारी।
हुई गुलज़ार सुनकरके तेरी पहली किलकारी।।
सदा खुशहाल रहना और चहकना कुल दुलारी।
मान सम्मान और यश कीर्ति वैभव तू हमारी।।
बने तू स्वाभिमानी स्वाबलंबी मन मयूरी।
हृदय से है दुआ, तेरी सभी ख्वाहिश हों पूरी।।
तुझे माता पिता का ताज बनना है कुमारी।
सतत सम्मान की हकदार हो लाडो हमारी।।
आसमाँ से भी ऊंची हो हमारी नन्ही परी।
सभी खुशियों की मलिका हो, दुआ है दिल से मेरी।।



Saturday, October 2, 2021

कोई अर्थ नहीं

जीवन में भरे विकारों से,
जब रिक्त नहीं है अंतर्मन।
तब उपदेशों की गंगा में,
नित स्नानों का अर्थ नहीं।
घर के ज़ईफ़ को चैन नहीं,
उनके मन अगर वेदना हो।
फिर मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा,
जाने का कोई अर्थ नहीं।

मन मनुज अगर मानवता नहीं,
तकलीफ किसी को देता हो।
ऐसे नृशंस का वसुधा पर,
जीवित रहने का अर्थ नहीं।
सत में दुर्बल का बल न बने,
झूंठे बलवान का संग करे।
दीपक हो शमन अनल भड़के,
ऐसे समीर का अर्थ नहीं।

छोटे से जीवन के पल क्षण,
बीते जाते हैं दिन प्रतिदिन।
मेहमान कुछ दिनों का जग में,
तेरे अहंकार का अर्थ नहीं।
जब चार दिनों के जीवन में,
दो दिन आश्रित ही रहना है।
फिर शेष दो दिनों मस्त रहो,
गम मय जीवन का अर्थ नहीं।

Friday, October 1, 2021

 खतरा सिग्नल
खतरा सिग्नल पार हो, ऐसी घड़ी न आय।
दुर्घटना से सबक ले, करलो चंद उपाय।।
सिग्नल की पहचान में, यदि शंका हो जाय।
गाड़ी को रोको सखा, सबको देओ बताय।।
पीला सिग्नल पूर्व ही, जो सतर्क हो जाय।
खतरा सिग्नल तक नहीं, भूले से भी जाय।।
गाड़ी काबू में चले, लो विश्वास जगाय।
याद रखो एक पल कभी, अति विश्वास न आय।।
जिन बातों से काम में, बाधा तुमको आय।
कोशिस करना बस यही, कोई और न फंसने पाय।।
गाड़ी आती देखकर, लाइट दियो झुकाय।
रात समय भ्रम से कोई, सिग्नल पार न जाय।।
जीवन मे SPAD का, सपना भी आ जाय।
और सजग होकर चलो, सत्य न होने पाय।।
यह मन मत धारण करो, मुझसे चूक न होय।
गलत न हो निर्णय कभी, मन मे रखो संजोय।।
तन मन से चौकस रहो, गति चाहे कम होय।
सावधान यदि ना रहे, दुर्घटना तब होय।।
सजग, सतत निर्व्यसन हो, मन संकल्प संजोय।
खतरा सिग्नल से सदा, दूर रहो सब कोय।।
खतरा सिग्नल से डरो, गति विकराल न होय।
पराभूत आलस करो, मन 'अशोक' तब होय।।
-अशोक शर्मा (मोटरमैन-कल्याण)

Saturday, July 18, 2020

महामारी

कोरोना की महामारी जो अप्रैल बीस में आई,
सब काम-काज कर बंद, घरों में सबको दिया छुपाई।

कहते हैं चीन वुहान शहर से, चली हवा विष लाई,
सम्पूर्ण विश्व में धीरे-धीरे, मत्यु बाँटती आई।

लौटे स्वदेश जो वतन-भक्त, सरकार ही लेकर आई,
एकांतवास की शिक्षा दे, घर दिया उन्हें भिजवाई।

वो गए मगर नहीं किया अमल, जो बात उन्हें समझाई,
कोरोना बांटा अपनों में, और देश पै आफत आई।

तब भारत की सरकार जगी, और देश बन्द करवाई,
फिर भी था निर्णय उचित, चेतना जल्दी उनको आई।

अब तक इसका उपचार नहीं, लाखों ने जान गंवाई,
जन-मन में भय व्याप्त, हर एक प्राणी की शामत आई।

देश वासियो अभी जगो, मानवता की है दुहाई,
तन-दूरी रख आदेशों पर, अमल करो मेरे भाई।

Saturday, July 11, 2020

गज़ल

कितना दुशवार था दुनियां का हुनर आना भी।
तुझसे ही फासला रखना, तुझे अपनाना भी।।

कैसी आदाब-ऐ-नुमाइश में लगाई शर्तें।
फूल होना ही नहीं, फूल नज़र आना भी।।

खुद को पहचान के देखे तो ज़रा ये दरिया।
भूल जाएगा समुंदर की तरफ, जाना भी।।

दिल की बिगड़ी हुई आदत से ये उम्मीद न थी।
भूल जाएगा ये एक दिन, तेरा याद आना भी।।

ऐसे रिश्ते का भरम रखना भी कोई खेल नहीं।
तेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी।।

कोहरे के मौसम

कोहरे का मौसम आया है, हर तरफ अंधेरा छाया है। मेरे प्यारे साथी-2, हॉर्न बजा, यदि दिखे नहीं तो, धीरे जा।। कभी घना धुंध छा जाता है, कुछ भी तुझे...