गम-ऐ-ज़िंदगी में अँधेरे हैं बे-शक,
मगर दूर तक तुमको जाना तो है ही।
भले राह-ऐ-मंज़िल में मुश्किल अनेकों,
मगर हौसला करके चलना तो है ही।
कोहरे का मौसम आया है, हर तरफ अंधेरा छाया है। मेरे प्यारे साथी-2, हॉर्न बजा, यदि दिखे नहीं तो, धीरे जा।। कभी घना धुंध छा जाता है, कुछ भी तुझे...
1 comment:
अशोक जी....
बहुत सुंदर रचना के लिए दिल से अभिनंदन
सही कहा ...
कहाँ जग में आये थे दौलत को लेकर,
कफ़न में लिपट सबको जाना तो है ही।।
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