Friday, June 21, 2019

खुश रहा जाए...

कभी उनसे, कहीं मिलने की कुछ तरकीब हो जाये,
कुपित जीवन के पतझड़ में, कभी एक फूल खिल जाये।
सुना है हर धड़कते दिल के कुछ अरमान होते हैं,
मेरा मन भी, किसी के मन से मिल गुलज़ार हो जाये।।
अगर ख्वाबों की मूरत का, कभी दीदार हो जाये,
मुझे भी ज़िंदगी के रूखेपन से, प्यार हो जाये।
सुना है प्रेम का दरिया धधकती आग होता है,
तपिश पाकर ये जीवन भी, कनक जैसा चमक जाये।।
बहुत बेचैन है ये मन, कहो कैसे जिया जाये,
हो अपनों में बेगानापन, ज़हर कैसे पिया जाये।
भरी महफ़िल की इन तनहाइयों में, हम अकेले हैं,
धड़कते दिल के क्रंदन का, शमन कैसे किया जाये।।

चमन गुलज़ार है बे-शक, उसी में खुश रहा जाये,
अगर बदरंग भी हो रंग, फिर भी चुप रहा जाये।
ये जीवन एक छलावा है अमर कोई न आता है,
स्वयं सम्मान में खुश रह, सभी को खुश रखा जाये।।

2 comments:

padma said...

Wow....nice

Unknown said...

Falling short of words to praise your awesome !!!! Language and writ
ing skills.

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