उसको देख-देख मन में ये ख़याल आता है,
जान भी गर वार दूँ तो नहीं कुछ ज्यादा है|
बुरा कोई बोले बोल खून खौल जाता है,
अच्छी बातें करे तो गुरूर बढ़ जाता है|
खुशहाली और शांति शौर्य कि ये महामाया है,
हरा, श्वेत, केसरिया रँग ये बताता है|
तीन रँग के आँचल में सबको रखा संभाल,
नहीं कोई और ऐसी अपनी भारत-माता है|
हिन्दू, मुस्लिम, सिख या ईसाई नहीं जानती ये,
सब इसके सपूत उनमें खूब प्रेम बाँटती है|
नानक, रहीम, ईसा मसीह का देश है ये,
इसकी अखंडता का लोहा सब मानते हैं|
गाँधी, तिलक, लाला, भगत के इस देश में,
हर बालक कि आत्मा में आज़ाद समाया है|
अपनी इस ऐकता को हिलने नहीं देंगे,
चाहे जान भी जाये पर झंडा झुकना नहीं मांगता है|
अपना तिरंगा सदा यूँ ह़ी लहराता रहे,
आज भी 'अशोक' सिर्फ यही दुआ मांगता है|
जान भी गर वार दूँ तो नहीं कुछ ज्यादा है|
बुरा कोई बोले बोल खून खौल जाता है,
अच्छी बातें करे तो गुरूर बढ़ जाता है|
खुशहाली और शांति शौर्य कि ये महामाया है,
हरा, श्वेत, केसरिया रँग ये बताता है|
तीन रँग के आँचल में सबको रखा संभाल,
नहीं कोई और ऐसी अपनी भारत-माता है|
हिन्दू, मुस्लिम, सिख या ईसाई नहीं जानती ये,
सब इसके सपूत उनमें खूब प्रेम बाँटती है|
नानक, रहीम, ईसा मसीह का देश है ये,
इसकी अखंडता का लोहा सब मानते हैं|
गाँधी, तिलक, लाला, भगत के इस देश में,
हर बालक कि आत्मा में आज़ाद समाया है|
अपनी इस ऐकता को हिलने नहीं देंगे,
चाहे जान भी जाये पर झंडा झुकना नहीं मांगता है|
अपना तिरंगा सदा यूँ ह़ी लहराता रहे,
आज भी 'अशोक' सिर्फ यही दुआ मांगता है|
2 comments:
Beautiful poem
Thank you very much madam ji...
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