Sunday, February 1, 2015

क्यों ?

क्यों बाप से बेटा नहीं डरता, क्यों माँ का आदर नहीं करता।
क्यों देश दशा ऐसी बदली, कोई किसी की परवाह नहीं करता।
मानव की मानवता कहाँ गयी, आँखों से हया खत्म हो गयी।
छोटे और बड़े की मर्यादा, रिश्तों की ऊँच - नीच कहाँ गयी।
कहाँ गया दिलों से प्रेम - भाव, ईश्वर भी मानव से डरता।
क्यों देश दशा ऐसी बदली...................... ……………।
क्यों भाई भाई में ठन गयी, कहाँ बहनों की वो आन गयी।
दिन दिन बढ़ते प्रतिकर्षों से, क्यों मानवता विचलित हो गयी।
कहाँ गया पुरुष का पुरुषारथ, क्यों सहज़ दुष्टता भी करता।
क्यों देश दशा ऐसी बदली...................... ……………।
क्यों ऋषियों में ऋषि - धर्म नहीं, संतों के कर्म सु-संत नहीं।
जो ब्रह्म-ऋषि खुद को कहते, उनका अपना कोई पंथ नहीं।
क्यों गुरु-भूमि गुरु पूजा में, अब दिल विश्वास नहीं करता।
क्यों देश दशा ऐसी बदली...................... ……………।
क्यों अहंकार दिन दिन बढ़ता, मानव से मानवता हरता।
क्यों समय काल के साथ साथ, संस्कृति का सूरज भी ढलता।
क्यों हुए आचरण पराभूत, और दुराचार पल - पल बढ़ता।
क्यों देश दशा ऐसी बदली...................... ……………।
क्यों बदल गया है मानव मन, क्यों है कठोर सबका तन-मन।
बच्चों से बचपन छीन लिया, क्यों है किशोर का कुंठित मन।
क्यों प्रतिस्पर्घा की खातिर, मन में नफरत का विष भरता।
क्यों देश दशा ऐसी बदली...................... ……………।
कहाँ विद्वानो की बुद्धि गयी, क्यों पढ़ लिखकर मति मंद हुयी।
शिक्षा का बढ़ता चलन मगर, क्यों दुष्कर्मों की हद हो गयी।
क्या शिक्षा का यह बृहद ज्ञान, मन को विश्रांत नहीं करता।
क्यों देश दशा ऐसी बदली...................... ……………।
क्यों चाह नहीं खुशहाली की, क्यों बातें हों बर्बादी की।
खुद के सुख दुःख का बोध नहीं, क्यों सोचें किसको कष्ट नहीं।
क्यों मानव मन मानव के प्रति, निष्काम भावना नहीं रखता।
क्यों देश दशा ऐसी बदली...................... ……………।

कोहरे के मौसम

कोहरे का मौसम आया है, हर तरफ अंधेरा छाया है। मेरे प्यारे साथी-2, हॉर्न बजा, यदि दिखे नहीं तो, धीरे जा।। कभी घना धुंध छा जाता है, कुछ भी तुझे...