Saturday, July 18, 2020

महामारी

कोरोना की महामारी जो अप्रैल बीस में आई,
सब काम-काज कर बंद, घरों में सबको दिया छुपाई।

कहते हैं चीन वुहान शहर से, चली हवा विष लाई,
सम्पूर्ण विश्व में धीरे-धीरे, मत्यु बाँटती आई।

लौटे स्वदेश जो वतन-भक्त, सरकार ही लेकर आई,
एकांतवास की शिक्षा दे, घर दिया उन्हें भिजवाई।

वो गए मगर नहीं किया अमल, जो बात उन्हें समझाई,
कोरोना बांटा अपनों में, और देश पै आफत आई।

तब भारत की सरकार जगी, और देश बन्द करवाई,
फिर भी था निर्णय उचित, चेतना जल्दी उनको आई।

अब तक इसका उपचार नहीं, लाखों ने जान गंवाई,
जन-मन में भय व्याप्त, हर एक प्राणी की शामत आई।

देश वासियो अभी जगो, मानवता की है दुहाई,
तन-दूरी रख आदेशों पर, अमल करो मेरे भाई।

Saturday, July 11, 2020

गज़ल

कितना दुशवार था दुनियां का हुनर आना भी।
तुझसे ही फासला रखना, तुझे अपनाना भी।।

कैसी आदाब-ऐ-नुमाइश में लगाई शर्तें।
फूल होना ही नहीं, फूल नज़र आना भी।।

खुद को पहचान के देखे तो ज़रा ये दरिया।
भूल जाएगा समुंदर की तरफ, जाना भी।।

दिल की बिगड़ी हुई आदत से ये उम्मीद न थी।
भूल जाएगा ये एक दिन, तेरा याद आना भी।।

ऐसे रिश्ते का भरम रखना भी कोई खेल नहीं।
तेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी।।

कोहरे के मौसम

कोहरे का मौसम आया है, हर तरफ अंधेरा छाया है। मेरे प्यारे साथी-2, हॉर्न बजा, यदि दिखे नहीं तो, धीरे जा।। कभी घना धुंध छा जाता है, कुछ भी तुझे...