Thursday, June 16, 2011

"आन्दोलन - कब तक???"

अंग्रेजों के शोषण से, जन जीवन त्रस्त हुआ था,
तब श्रम संघ आन्दोलन का, भारत में उदय हुआ था |
काम अधिक और कम वेतन, असुरक्षित था जन-जीवन |
पिछड़ापन और अनपढ़ता से, उदासीन था हर मन ||
औरत  बूढों  बच्चों  से  भी  काम  लिया  जाता था |
तब श्रम संघ................................................||१||
शिक्षा की थी कमी, श्रमिक एकत्र नहीं हो पाया |
नियोजकों  ने मिलकर के, अपना एक नियम बनाया ||
बिना अनुमति काम छोड़ना भी अपराध हुआ था |
तब श्रम संघ................................................||2|| 
सन अठारह सौ चौवन में था, जाल मीलों का फैला |
अठारह सौ पछपन में, उठी चिंगारी हुआ उजाला ||
शोराब शहापुर जी ने श्रम आन्दोलन शुरू किया था |
तब श्रम संघ................................................||३||
श्रम आन्दोलन के, पौधे को कुछ महापुरुषों ने सींचा |
पौधा बढ़कर पेढ़ बने, इसलिये समय को खींचा ||
शिक्षित करने श्रमिक, रात्रि विद्यालय शुरू किया था |
तब श्रम संघ................................................||४||
सन अठारह सौ चौरासी में, श्रम आन्दोलन कुछ तेज़ हुआ |
श्री एन. एम्. लोखंडे था नाम, पहला श्रम नेता प्रकट हुआ ||
सन अठारह सौ नब्बे में  प्रथम, श्रम संघ का गठन हुआ था |
तब श्रम संघ................................................||५||
उसी समय श्रमिकों की दशा में, कुछ सुधार था आया |
साप्ताहिक अवकाश, काम का नियत समय भी पाया ||
वेतन की भी तिथि सुनिश्चित, कर दिखलाया था |
तब श्रम संघ................................................||६||
नयी सदी में समय तिलक, गाँधी - लाला का आया |
मजदूरों को किया संगठित, खुद का चैन गंवाया ||
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस, संगठन बनाया था |
तब श्रम संघ................................................||७||
नयी सदी में नयी उमंगों, ने फिर पींग बढ़ाया |
अच्छे नेता मिले, संगठन हितवर्धक बन पाया ||
दुर्घटना का मुआवजा, तब मिलना शुरू हुआ था |
तब श्रम संघ................................................||८||
चला स्वदेशी आन्दोलन, बंगाल-विभाज़न आया |
श्रम संघ आन्दोलन ने तभी, कुछ उग्र रूप दिखलाया ||
लोक-तिलक को सज़ा हुयी, एक नया मोड़ आया था |
तब श्रम संघ................................................||९||
समय गुज़रता गया, श्रमिक का लगा सुधरने जीवन |
किया शुरू फिर गांधी जी ने, असहयोग आन्दोलन ||
तभी श्रमिक संघों को उचित, दर्ज़ा मिल पाया था |
तब श्रम संघ................................................||१०||
सन उन्नीस सौ बीस, समय ने नया मार्ग दिखलाया |
लाला जी अध्यक्ष हुए, एटक संगठन बनाया ||
चमन लाल, एन.एम्.जोशी, मोती,नेहरू का संग था |
तब श्रम संघ................................................||११||
आन्दोलन का बढ़ा दबदबा, श्रमिकों ने हक़ पाया |
सन उन्नीस सौ छब्बीस संग, श्रम संघ अधिनियम लाया ||
श्रम संघों को प्रथम बार, पंजीकृत करवाया था |
तब श्रम संघ................................................||१२||
संग समय के संघों में, बर्चस्व भाव फिर आया |
वाम-पंथियों  ने संघों में, भारी सेंध लगाया ||
हुआ विभाज़न संघों का, वह बुरा समय आया था |
तब श्रम संघ................................................||१३||
उन्नीस सौ चौंतीस, समय "एटक" अधिवेशन का था |
पंडित हरिहर नाथ शास्त्री, ने संपन्न किया था ||
सब घटकों को बुला, साथ में विलय कराया था |
तब श्रम संघ................................................||१४||
श्रम संघ आन्दोलन जब तक, पहले संकट से उबरा |
विश्व युद्ध की काली छाया, ने फिर उसको घेरा ||
आपातकाल के आने से, भारी व्यवधान हुआ था |
तब श्रम संघ................................................||१५||
नौ अगस्त सन बयालीस, जन-मन आक्रोश भरा था |
अंग्रेजो ! भारत छोडो, बापू ने तभी कहा था ||
शेरों की दहाड़ से फिर, हर गोरा दहल गया था |
तब श्रम संघ................................................||१६||
सन उन्नीस सौ बयालीस, एक और सफलता लाया |
श्रमिक मामलों की ख़ातिर, एक पूरक पक्ष बनाया ||
त्रि-पक्षीय मशबरे का तब से, मार्ग प्रशस्त हुआ था |
तब श्रम संघ................................................||१७||
तीन मई सन सेंतालीस, इंटक का जन्म हुआ था |
सरदार पटेल ने इंटक का, वह सूत्र-पात किया था ||
तब पांच लाख से अधिक श्रमिक का, पहला संघ बना था |
तब श्रम संघ................................................||१८||
देश भक्ति और देश प्रेम, वह सुखद समय भी लाया |
भारत को अंग्रेजों के, चंगुल से मुक्त कराया ||
पंद्रह अगस्त सन सेंतालीस को, देश स्वतंत्र हुआ था |
तब श्रम संघ................................................||१९||
स्वतंत्रता के बाद देश ने, जो संविधान अपनाया |
श्रमिकों को आज़ादी से, जीना उसने सिखलाया ||
श्रम आन्दोलन उद्देश्य पूर्ण, करके दिखलाया था |
तब श्रम संघ................................................||२०||
कई दशकों के बाद समय, ऐसा ही फिर आया है |
सकल देश में  भ्रष्ट व्यवस्था, चोरों का  डेरा  है ||
आज़ादी के बाद कहाँ, किसने ऐसा सोचा था |
तब श्रम संघ................................................||२१||
गाँधी जी का पुनः आज, अन्ना अवतार हुआ है |
भ्रष्टाचारी, काला-धन, हर दिल की चुभन बना है ||
पूरा कर लो आज उसे, जो सपना कल देखा था |
तब श्रम संघ................................................||२२||
तब भी शोषित श्रमिक हुआ, अब फिर से वही दशा है |
देशी अंग्रेजों का फिर, यहाँ अत्याचार बढ़ा है ||
आन्दोलन को प्रबल करो, लो छीन जो हक़ अपना था |
तब श्रम संघ................................................||२३||

कोहरे के मौसम

कोहरे का मौसम आया है, हर तरफ अंधेरा छाया है। मेरे प्यारे साथी-2, हॉर्न बजा, यदि दिखे नहीं तो, धीरे जा।। कभी घना धुंध छा जाता है, कुछ भी तुझे...