हे श्रष्टी के शिल्पकार तेरी कैसी अद्भुत माया।
पञ्च-तत्व से काया गढ़कर क्या क्या खेल कराया। Sunday, October 4, 2015
हे श्रष्टि के शिल्पकार
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कोहरे के मौसम
कोहरे का मौसम आया है, हर तरफ अंधेरा छाया है। मेरे प्यारे साथी-2, हॉर्न बजा, यदि दिखे नहीं तो, धीरे जा।। कभी घना धुंध छा जाता है, कुछ भी तुझे...
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स्वर साम्राज्ञी अमर रहेंगी,सा त सुरों की सरगम में। वतन सदा नम-नयन रहेगा, वाणी के आवाहन में।। काया छोड़ गयीं वो बेशक, नश्वर-देह जमाने में, स्...
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कोहरे का मौसम आया है, हर तरफ अंधेरा छाया है। मेरे प्यारे साथी-2, हॉर्न बजा, यदि दिखे नहीं तो, धीरे जा।। कभी घना धुंध छा जाता है, कुछ भी तुझे...
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बच्चे हैं नादान , मगर हम भारत की पहचान बनेंगे| पढ़-लिखकर विद्वान बनें हम, रोशन इसका नाम करेंगे|| मात-पिता और गुरुजनों के, लाड-प्यार का ...