Monday, March 21, 2016

देशभक्ति


उन्हें यह फिक्र है हरदम, नयी तर्ज़-ऐ-वफ़ा क्या है,
हमें यह शौक है देखें, सितम की इंतहा क्या है।
गुनहगारों में शामिल हैं, गुनाहों से नहीं वाकिफ,
सजा को जानते हैं हम,
खुदा जाने खता क्या है।
देश हित सोच है जिनकी, लहू उनका उबलता है,
देशभक्ति का लावा, उनके दिल में रोज़ बहता है।
मगर क्या हो गया है अब, हमारे देशभक्तों को,
कि दुश्मन देश में आकर, दहाड़ें मार जाता है।

ये भारत देश हम सबका, दंभ अभिमान गौरव है,
शहीदों के अमर बलिदानों की, दुर्लभ धरोहर है।
जिसे सींचा था अपने रक्त से, भारत के वीरों ने,
उसे दिल से सहेजें हम, ये हम सबकी जरुरत है।
आज इस देश के दिल पर, देशद्रोही गरज़ता है,
कोई साहित्य का दिग्गज, कलम से विष उगलता है।
मोल लगता शहीदों को, नमन पर बात करने का,
देशभक्ति के गीतों पर, कवि भी भाव करता है।

स्वयं को देश के मालिक, जो वर्षों से समझते हैं,
देश को लूटते छल से, प्रजा का मन कुचलते हैं।
शर्म आती नहीं हमको, उन्हें फिर फिर से चुनने में,
धर्म और जाति का विष, जो हमें दिन दिन पिलाते हैं।
चलो एक प्रण करें मिलकर, सभी बीड़ा उठाते हैं,
देश में ऐकता की तान पर, नयी धुन बनाते हैं।
भगत सिंह राजगुरु सुखदेव की, सौगंध है सबको,
धर्म और जाति के बदरंग, होली में जलाते हैं।

हमारी फिक्र हो हरदम, देश के प्रति वफ़ा क्या है,
हमारा शौक हो केवल, वफ़ा की इंतहा क्या है।
गुनाहों से रहें सब दूर, लेकिन देश के हित में,
ये दुश्मन को दिखा दें देश की, भक्ति का दम क्या है।

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