कोरोना की महामारी जो अप्रैल बीस में आई,
सब काम-काज कर बंद, घरों में सबको दिया छुपाई।
कहते हैं चीन वुहान शहर से, चली हवा विष लाई,
सम्पूर्ण विश्व में धीरे-धीरे, मत्यु बाँटती आई।
लौटे स्वदेश जो वतन-भक्त, सरकार ही लेकर आई,
एकांतवास की शिक्षा दे, घर दिया उन्हें भिजवाई।
वो गए मगर नहीं किया अमल, जो बात उन्हें समझाई,
कोरोना बांटा अपनों में, और देश पै आफत आई।
तब भारत की सरकार जगी, और देश बन्द करवाई,
फिर भी था निर्णय उचित, चेतना जल्दी उनको आई।
अब तक इसका उपचार नहीं, लाखों ने जान गंवाई,
जन-मन में भय व्याप्त, हर एक प्राणी की शामत आई।
देश वासियो अभी जगो, मानवता की है दुहाई,
तन-दूरी रख आदेशों पर, अमल करो मेरे भाई।
सब काम-काज कर बंद, घरों में सबको दिया छुपाई।
कहते हैं चीन वुहान शहर से, चली हवा विष लाई,
सम्पूर्ण विश्व में धीरे-धीरे, मत्यु बाँटती आई।
लौटे स्वदेश जो वतन-भक्त, सरकार ही लेकर आई,
एकांतवास की शिक्षा दे, घर दिया उन्हें भिजवाई।
वो गए मगर नहीं किया अमल, जो बात उन्हें समझाई,
कोरोना बांटा अपनों में, और देश पै आफत आई।
तब भारत की सरकार जगी, और देश बन्द करवाई,
फिर भी था निर्णय उचित, चेतना जल्दी उनको आई।
अब तक इसका उपचार नहीं, लाखों ने जान गंवाई,
जन-मन में भय व्याप्त, हर एक प्राणी की शामत आई।
देश वासियो अभी जगो, मानवता की है दुहाई,
तन-दूरी रख आदेशों पर, अमल करो मेरे भाई।
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