दहशतगर्दी छाई हुयी है आज देश में जमकर |
यूँ लगे ग़ुलामी जकड रही है फिर से हमको कसकर||
आज देश में नेतागीरी, भ्रष्टाचार बनी है |
जो जितना है भ्रष्ट, उसे उतनी वाह - वाह मिली है ||
मात्र-भूमि अपनी का सौदा करते शर्म नहीं है |
करें वतन से गद्दारी, उनका किरदार वही है ||
नेता का है काम देश, को लूट खाए जी भरकर |
यूँ लगे ग़ुलामी....................... .....................||
झूँठ बोलना नेता की, पहली पहचान कही है |
लुच्चा, गुंडा, बेईमान, उनके सब नाम सही है ||
कैसे भी बस मिल जाए, सत्ता की चाह लगी है |
देश, धर्म और जन - सेवा की कुछ परवाह नहीं है ||
मानवता को भूल गए हैं, पाप करें जी भरकर |
यूँ लगे ग़ुलामी....................... .................||
जाति-धर्म और प्रांत-वाद की राजनीति जननी है |
नभ और धरा सामान भिन्न, इसकी कथनी करनी है ||
लूट-पात, दंगे-फसाद सब-कुछ इनको बरनी है |
इतने सबके बिना सुनो नहीं राजनीति चलनी है ||
संसद कर दें ठप्प, आज हंगामा हो जी भरकर |
यूँ लगे ग़ुलामी....................... ....................||
यूँ लगे ग़ुलामी जकड रही है फिर से हमको कसकर||
आज देश में नेतागीरी, भ्रष्टाचार बनी है |
जो जितना है भ्रष्ट, उसे उतनी वाह - वाह मिली है ||
मात्र-भूमि अपनी का सौदा करते शर्म नहीं है |
करें वतन से गद्दारी, उनका किरदार वही है ||
नेता का है काम देश, को लूट खाए जी भरकर |
यूँ लगे ग़ुलामी.......................
झूँठ बोलना नेता की, पहली पहचान कही है |
लुच्चा, गुंडा, बेईमान, उनके सब नाम सही है ||
कैसे भी बस मिल जाए, सत्ता की चाह लगी है |
देश, धर्म और जन - सेवा की कुछ परवाह नहीं है ||
मानवता को भूल गए हैं, पाप करें जी भरकर |
यूँ लगे ग़ुलामी.......................
जाति-धर्म और प्रांत-वाद की राजनीति जननी है |
नभ और धरा सामान भिन्न, इसकी कथनी करनी है ||
लूट-पात, दंगे-फसाद सब-कुछ इनको बरनी है |
इतने सबके बिना सुनो नहीं राजनीति चलनी है ||
संसद कर दें ठप्प, आज हंगामा हो जी भरकर |
यूँ लगे ग़ुलामी.......................
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