ऐ दुनियां के हिन्दू जागो,
अब वक्त नहीं है सोने का |
हम बहुत सह चुके ज़ुल्मो-सितम,
अब समय नहीं चुप रहने का||
इस देश का हिन्दू ह़ी हर-पल,
था जीता रहा औरों के लिए|
इतिहास गवाही देता है,
वह क्षमाशील था सबके लिए||
मुस्लिम और सिख, ईसाई को,
रखा हमने भाई की तरह|
वो आस्तीन के सांप हमें,
डसते ह़ी रहे नागों की तरह||
कभी देश की आज़ादी के लिए,
था प्राणों का बलिदान किया|
अब देश धर्म खतरे में है,
क्यों अब तक हमने सहन किया?
खुद धर्म आवाहन करता है,
बढ़कर आगे संकल्प करो|
यह हिद राष्ट्र हिन्दू का है,
बाकी को चकनाचूर करो||
अब वक्त नहीं है सोने का |
हम बहुत सह चुके ज़ुल्मो-सितम,
अब समय नहीं चुप रहने का||
इस देश का हिन्दू ह़ी हर-पल,
था जीता रहा औरों के लिए|
इतिहास गवाही देता है,
वह क्षमाशील था सबके लिए||
मुस्लिम और सिख, ईसाई को,
रखा हमने भाई की तरह|
वो आस्तीन के सांप हमें,
डसते ह़ी रहे नागों की तरह||
कभी देश की आज़ादी के लिए,
था प्राणों का बलिदान किया|
अब देश धर्म खतरे में है,
क्यों अब तक हमने सहन किया?
खुद धर्म आवाहन करता है,
बढ़कर आगे संकल्प करो|
यह हिद राष्ट्र हिन्दू का है,
बाकी को चकनाचूर करो||
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