Sunday, May 18, 2014

ज़िन्दगी की कसौटी

गम-ऐ-ज़िंदगी में अँधेरे हैं बे-शक,
मगर दूर तक तुमको जाना तो है ही।
भले राह-ऐ-मंज़िल में मुश्किल अनेकों, 
मगर हौसला करके चलना तो है ही।
जलाओ दिए सच के अन्तः करण में,
सुगम हो डगर ऐसी आशा तो है ही।
बनो साहसी नाम ईश्वर का लेकर,
हर हाल मंज़िल को पाना तो है ही।।
न दे साथ दुनिया कभी ग़म ना करना,
कदम-दर-कदम साथ रब का तो है ही।
सदा सोच में रखना जग की भलाई,
जहाँ में बुराई का आलम तो है ही।।
कभी धन से तौलो ना इंसानियत को,
नश्वर है जो उसको मिटना तो है ही।
कहाँ जग में आये थे दौलत को लेकर,
कफ़न में लिपट सबको जाना तो है ही।।
अँश ईश्वर का है चेतना सबके तन में,
उसी में विलय इसका होना तो है ही।
स्वयम कष्ट सहकर भी खुशियाँ लुटाओ,
सफल ज़िन्दगी में कसौटी तो है ही।।

1 comment:

Unknown said...

अशोक जी....

बहुत सुंदर रचना के लिए दिल से अभिनंदन

सही कहा ...

कहाँ जग में आये थे दौलत को लेकर,
कफ़न में लिपट सबको जाना तो है ही।।

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