Wednesday, March 24, 2010

हे मानव

हे मानव तुम हो महान, मानवता को न भुला देना|
कोई दीन-दुखी मिल जाए अगर, उसका दुःख-दर्द बाँट लेना||
किसी पत्थर से ठोकर खाकर, खुद को ही तुम समझा लेना,
कोई और न ठोकर खाए कभी, ऐसा कर सको तो कर देना|
किसी आंख का आंसू पौंछ सको, यह नेक काम तुम कर लेना,
कोई कष्ट सहे तुम देख सको, ऐसा न कभी निष्ठुर बनना||
हे मानव तुम हो महान......................................................
जीवन में मुश्किल आती हैं, उनको हंसकर सह लेना,
है मानवता का धर्म यही, औरों से भी तुम कह देना|
यदि बाँट सको तो ग़म बाँटो, खुशियाँ औरों में लुटा देना,
कोई भला कहे या बुरा कहे, इसकी परवाह नहीं करना||
हे मानव तुम हो महान.....................................................
यदि मंदिर-मस्जिद जा न सको, रोते को कभी हंसा देना,
इससे बढ़कर कोई पुण्य नहीं, मौंका यदि मिले तो कर लेना|
आने वाली पीढ़ी को भी, ये उत्तम मार्ग दिखा देना,
यह फ़र्ज़ हमारा है प्रियवर, इसका विस्मरण नहीं करना||
हे मानव तुम हो महान...................................................
यदि फूल नहीं बन सकते तुम, तो काँटों से सह मत लेना,
यदि घाव नहीं भर सकते हो, तो उन्हें हरे मत कर देना|
मानव हो मानवता रखकर, हर प्राणी को तुम सुख देना,
कोई दानव तुमको नाम रखे, ऐसे दुष्कर्म नहीं करना||
हे मानव तुम हो महान.......................................
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1 comment:

prakash said...

Manavta ke liye bahut achchhi soch,,,badhayi

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