Wednesday, January 6, 2010

हे मजदूर

हे मजदूर तेरे जीवन में, रहे सदा उत्कर्ष,

हर पल खुशियाँ बरसाए, यह नया सुहाना वर्ष।

यह नया सुहाना वर्ष, रखे तुम्हें स्वस्थ हमेशा,

प्रति-दिन प्रति-क्षण मिले तुम्हें, सुख सम्रद्धि और हर्ष।।

हर पल पुलकित हो तेरा मन, ऐसा हो स्पर्श,

अपनापन प्यार दुलार मिले, ना क्लेश रहे ना दर्द।

ना क्लेश रहे ना दर्द, रहो तुम सुखी हमेशा,

जीवन महके मधुबन जैसा, हो ऐसा ये नव वर्ष

दहशत का नमो-निशान हो, हो फ़र्ज़ तेरा आदर्श,

कुदरत का संग सुखदायी रहे, ना पैदा हों प्रतिकर्ष

ना पैदा हों प्रतिकर्ष, महक जाए जन-जीवन,

तेरी महनत से इस जग में, चमके भारत-वर्ष॥

2 comments:

मनोज कुमार said...

श्रमिक वर्ग के प्रति आपके ये संवेदना सराहनीय है।

Ashok Sharma said...

Bahut Bahut dhanyawad shrimaan ji....aape es pyar ke karan hi me bahut vyast zindagi se samay churakar kuchh likh pata hun...

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